तितली उङी,इस डाल से उस डाल
इस फूल से उस फूल
फूल मुस्कुराए,इठलाए,इतराए
यह जान कर भी कि स्पर्श होगा शूल
कलियाँ फूलीँ,बनीँ फूल
यह जान कर भी कि स्पर्श होगा शूल।
प्रकृति के इन सुकुमारोँ ने
मान लिया जीवन हँसना है
जब तक सिँचित हैं जल से
जब तक सूँघ रहे हैं वायु
अविरल हँसना इनकी फ़ितरत
जीवंत है,जब तक की आयु॥