तितली उङी,इस डाल से उस डाल
इस फूल से उस फूल
फूल मुस्कुराए,इठलाए,इतराए
यह जान कर भी कि स्पर्श होगा शूल
कलियाँ फूलीँ,बनीँ फूल
यह जान कर भी कि स्पर्श होगा शूल।
प्रकृति के इन सुकुमारोँ ने
मान लिया जीवन हँसना है
जब तक सिँचित हैं जल से
जब तक सूँघ रहे हैं वायु
अविरल हँसना इनकी फ़ितरत
जीवंत है,जब तक की आयु॥
प्रकृति के इन सुकुमारोँ ने
जवाब देंहटाएंमान लिया जीवन हँसना है
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बहुत सुंदर भाव ...जीवन हँसना है ..बहुत सुंदर कल्पना ...शुक्रिया
even if we see other creatures enjoying their life,we cosider ours sometimes a burden.कैसी विडंबना है कि सामने लज़ीज़ भोजन होते हुए भी हम इसका आनंद लेने में अक्षम हैं
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