गुरुवार, 18 अप्रैल 2013

भारत

इन्टरनेट का उपयोग कर जैसे-जैसे मैं प्राचीन भारतीय ज्ञान से परिचित हो रहा हूँ मैं इस अनंत सागर से सम्मोहित होता जा रहा हूँ | चाहे वह आध्यात्म हो ,सामजिक ज्ञान ,आयुर्वेद,इतिहास,गणित,रसायन शास्त्र ,भौतिकी ,खगोल शास्त्र ,संगीत,भाषा ,कृषि या अन्य विधा हो ,मैं चकित हूँ कि इस ज्ञान के सागर में कुछ विधाओं से तो अभी तक मेरा परिचय भी नहीं हुआ था,भारतीयता से मेरा अब तक परिचय नहीं हुआ था | जैसे अत्यधिक भोजन आसपास उपलब्ध होने पर क्षुधा समाप्त हो जाती है और मन बिन खाए भी तृप्त हो जाता है वैसी ही स्थिति मेरी हुई,पर तृष्णा तब जगी जब मुझे महसूस हुआ इस अमूल्य एवं सर्वसम्पन्न ज्ञान के होते हुए भी समाज में सम्पन्नता दिखाई नहीं देती|फिर महसूस हुआ कि इस समस्या कि जड़ मेरे घर परिवार से ही जुडी हुई है|बाहरी परिस्थितियां व्यक्ति का संस्कार निर्माण नहीं कर सकती वह भी ऐसी तो बिलकुल भी नहीं जो मेरे आसपास मौजूद रही हैं|जब यह सवाल जेहन में आ जाता है कि "मेरी वास्तविक अस्तित्व क्या है ?" एवं "मेरा यहाँ होने का उद्देश्य क्या है?",चित्ताकाश का पुनर्निर्माण हो शुरू जाता है|मैं उन्हें अभागा समझता हूँ जिनके चित्त में यह सवाल नहीं गूंजता या जो लोग इस प्रश्न के होते हुए भी इस दिशा में कुछ कर पाने में अक्षम हैं|अब मैं आहिस्ता-आहिस्ता पाठक को इस समुद्र में से कुछ नदियों के दर्शन कराना चाहता हूँ|बेशक यह काफी कम होंगी पर आप इन विषयों पर शोध जारी रख सकते हैं. १.आध्यात्म हिंदुस्तान में युगों से गुरु परंपरा रही है|सत्य को सदा ही माया से उत्तम स्थान मिला है|वस्तु कि अपेक्षा खुद के स्वरुप को खोजने की परंपरा इस देश में रही है जो कालांतर में क्षीण पड़ गयी थी या फिर आम लोगों के पहुच से बाहर हो गयी थी पर धीरे-धीरे वापस जन-समूह तक पहुच रही हैं|चाहे यह आर्ट ऑफ लिविंग के माध्यम से हो या अन्य सम्माननीय गुरुओं के माध्यम लोगों तक पहुचाई जा रही हों, आध्यात्म यानि 'स्वयं/आत्म का अध्ययन/ज्ञान' आम लोगों को प्राप्त हो रहा है जिससे लोग खुद के वास्तविक स्वरुप को पहचान ,स्वयं के इस धरा पर होने के उद्देश्य को संपन्न करने में सक्षम हो रहे हैं| http://www.youtube.com/watch?v=wxSBrjO86Hw http://wisdomfromsrisriravishankarhindi.blogspot.fr/2010/07/blog-post_10.html २.सामजिक ज्ञान स्वयं का ज्ञान को सर्वोच्च ज्ञान कहा गया है|अतः यदि व्यक्ति इस ज्ञान तक पहुचने का रास्ता जानना चाहता है तो 'सामजिक ज्ञान' का पथ उत्तम हो सकता है जिसमे कर्म,ज्ञान और भक्ति तीनो पथ का समावेश पाया जाता है|अतः समाज में रह अध्ययन मनन कर जीवन का उत्तम उपयोग किया जा सकता है,तृप्त हुआ जा सकता है| http://transformingindians.org/ ३.आयुर्वेद इस विषय में मेरी रूचि तब से थी जब से मैंने वैद्य का वह वाक्य सुना था कि कोई ऐसी वनस्पति नहीं है जिसें औषधीय गुण ना हो ! मैंने इस विषय पर इन्टरनेट पर काफी कुछ खोजा है ,पढ़ा है पर यह उसी प्रकार है जैसे ब्रह्माण्ड में पृथ्वी क अस्तित्व|मैंने यह जाना कि भारत किस प्रकार अन्य भू-भाग से अलग है|अतः आयुर्वेद कि पैठ मानव जीवन के हर परिदृश्य से जुड़ा है यह जानने क सौभाग्य प्राप्त हुआ|वर्तमान में इसकी लोगों तक पहुच कैसे हो रही है इस बारे में भी थोडा पढ़ा| http://www.youtube.com/watch?v=1nDTSuQTZ8M http://www.ayurvedic-cooking.com/experiences.php http://homeofayurveda.org/ http://neerajtraders.blogspot.ca/ http://giriviharcancerhospital.org/about.php http://www.aryasamaj.org/newsite/node/990 http://studyinindiainfo.com/2008/04/ayurveda.html ४.इतिहास भारतीय इतिहास का सही ज्ञान मेरे लिए इसलिए जानना जरूरी हो गया क्योकि मैं जानना चाहता था कि हमारे पूर्वजों का जीवन किस प्रकार का था|उन्होंने अपने समय में क्या क्या सत्कार्य किये थे व परिस्थितियां विपरीत होने पर किस प्रकार उससे निबटते थे|हम उनसे क्या सीख ले सकते हैं|हमारी सामजिक कुरीतियों क जड़ कहाँ है|हमारे पास ज्ञान सागर होते हुए भी समाज कि ऐसी दशा क्यों है| यह शाखा तार्किक स्तर पर सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साबित हुई.सबसे महत्त्वपूर्ण जो मैं खोजना चाह रहा था कि मानव जीवन किस प्रकार 'सतत' हो सकता है,उसका उत्तर भी मुझे मिला| http://veda.wikidot.com/ http://www.youtube.com/watch?v=6y7Jcv4zSdI ५.गणित इतिहास पठन के दौरान मैंने ऐसे कई व्यक्तियों के बारे में पढ़ा जिन्होंने भारतीय समाज में गणित,भूगोल,रसायन,भौतिकी,आयुध,गन्धर्व,खगोल शास्त्र,वास्तु शास्त्र,ज्योतिष शास्त्र आदि ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में उच्च स्तर का कार्य किया है|मैं यह सब जान कर प्राचीन भारतीय ज्ञान से सम्मोहित व अभिभूत हो गया हूँ|गणित क निखिलम सूत्र हो या पूरी वेदिक गणित ,चकित कर देने वाला है|गौरव टेकरीवाल जैसे शूरवीरों को मेरा साधुवाद| https://www.facebook.com/ancientindianscience?fref=ts https://www.facebook.com/ANCIENTINDIANTECHNOLOGY?fref=ts http://www.youtube.com/watch?v=pElvQdcaGXE ६.संगीत संगीत भारतीय जनों के जनजीवन का अपूर्व अंग रहा है| शास्त्रीय संगीत हो या भाव संगीत ,नृत्य-गीत भारतीय संगीत अपने आप में पूर्ण रहा है| धान कि पौध लगाते सावन में गीत गाती महिलाओं के मुख से यह मुखर हो उठता है. https://www.swarganga.org/links.php ७.भाषा भारतीय भाषाएँ जिनमे संस्कृत सर्वाधिक प्राचीन है ,की महत्ता क अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इस भाषा में दुनिया के किसी भी भाषा से सबसे ज्यादा शब्द हैं ! यह वह भाषा है जिसमें सर्वोच्च ज्ञान को एक शब्द "ओइम" में ही परिभाषित किया गया है. http://www.youtube.com/watch?v=ZGl4YeLoLaI

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