रविवार, 16 जनवरी 2011

"एक ब्रह्म "

तुमसे  वितर  कहाँ  हूँ  मैं ,
जहाँ  तू  है  वहां  हूँ  मैं,
तुम्हे  देख  नहीं  सकता  तो  क्या ,
तेरे  सपनो  के  संग  तेरा  जहाँ  हूँ  मैं ,
कभी  वहां  हूँ  मैं  कभी  यहाँ  हूँ  मैं .

तेरे  पलकों  के  संग  आंसू  बनकर
तेरे  होठो  के  संग  हँसी  बनकर
तेरी  यादों  के  संग  रूमानियत  बनकर
तेरे  दिल  कि  ख़ुशी  हूँ  मैं .

तू  जो  सोचे  वो  सोच  हूँ मैं ,
तू  जो  ध्याये  वो  ध्यान  हूँ  मैं ,
तेरी  रातों  की  नींद  हूँ  मैं ,
तेरे  अंतर  का  गान  हूँ  मैं .

तेरे  भोर  की  अंगराई  हूँ  मैं ,
तुझ  अकेले  की  तन्हाई  हूँ  मैं ,
तू  ना  सोचे  तो  कुछ  न  सही  पर ,
गर  तू  सोचे  तो  तेरी  परछाई  हूँ  मैं ....|

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interesting