बुधवार, 12 जनवरी 2011

भुला ना पाएंगे




सब कुछ होते हुए भी कुछ खोता हुआ सा लगता है,

चेहरा हँसता है ,पर दिल रोता हुआ सा लगता है,

न जाने किसकी गैरमौजूदगी है आखिर ,

हर पल हर दिन अन्दर कुछ होता हुआ सा लगता है


पाता हूँ लोगों के बीच भी खुद को तनहा ,

तुम न होते फिर भी जब सब कुछ होता हुआ सा लगता है ,

दिन बीत रहे होते हैं तेरे बिन पलछिन,

आँखें जागी हुई पर रूह सोता हुआ सा लगता है

यारी को भूख नहीं ग्रेड की मार्क्स की,

ये बस मोहताज है तेरे एक लम्हे-खास की,

xams में तू पास हो चाहे फ़ैल ,

दिल धड्केगा तेरे संग बीते पल से ,

याद रखेगा तेरे लफ़्ज़ों के मिठास की|
        

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interesting