शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

"YES!+ के पांच सूत्र "

YES !+ वर्कशॉप ज्ञान ,ध्यान व मस्ती  से परिपूर्ण होता है.
अतः Winter  Break Upgrade  के दिन आश्रम में कुछ ऐसी जरूरत पड़ी कि मुझे इस कविता की रचना का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
Upgrade में समय की कितनी पावंदी होती है इससे तो आप परिचित हैं ही.

अतः दिल और दिमाग की मिश्रित अभिव्यक्ति आपके समक्ष प्रस्तुत है......

"बिन रात के दिन कहाँ,
 सिक्के के दो पहलु की तरह ,
 छाया हरदम होती है वहां,
 रौशनी रहती है जहाँ |

दुनिया में है ये सबसे बड़ा रोग
क्या कहेंगे लोग ,क्या कहेंगे लोग|

भूत गया बीत,
भविष्य का हर वक्त क्यों गाते तुम गीत ,
अगर जीतना है दुनिया को,
वर्तमान को जीत,वर्तमान को जीत|

हम  हैं  मानव ,गिर  गिर  कर  उठते  हैं ,
गलतियों  से सीखते  हैं ,दुनियां  को जीतते  हैं
जब  हमें  यह  है पता ,
हम हमेशा औरों की गलतियाँ में कारण क्यों ढूंढते हैं|

हम  हैं  मानव  भाई  भाई ,
क्यों करते रहते किसी की कमियों की बुराई,
परिश्थितियों  को गले  लगाएं, 
जीवन  की जंग  जीत  जाएँ |"

                                         -----जय गुरुदेव ||

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